ऑरकुट के बदले बदले रंग


ऑरकुट के बदले बदले रंग !!!!!!!!!! जी हा आज से ऑरकुट ने अपनी पूरानी खाल उतार कर एक नए ग्राफिक और बहतरीन रूप में आ गया हे | साथ ही कई सारी नई सुविधाओ के साथ

शेखर कुमावत

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परिस्थितियों को बहाना बनाने की पूरानी बाते


परिस्थितियों को बहाना बनाने की पूरानी इबारतों पर जिसने अपनी रंगों से भरी कुंची को कोमल हथियार बनाकर सफलता की और !!!!!1


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गुलशन कुमार


http://www.gulshanart.com


शेखर कुमावत

चित्रकारी के जरिये बुलंदी की ओर

मिनिएचर आर्ट के युवा चित्रकार गुलशन कुमार जांगिड़ की लम्बी कहानी का छोटा परिचय

परिस्थितियों को बहाना बनाने की पूरानी इबारतों पर अपनी रंगों से भरी कुंची को कोमल हथियार बनाकर बुलंदी की ओर बढ़ने का जो सफर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के हज़ार घरों की बस्ती वाले काटून्दा गांव से शुरू हुआ, अब अन्जाम तक पहुंचने की तरफ है। बुलंदी को हासील करने के लिये अपनी धीमी और सधे हुए कदमों वाली चाल से सफलता की कहानी बुन रहे हैं गुलशन कुमार। इस भौतिकतावादी दुनिया में भी थोड़ी कम व्यावसायिकताभरी मनोवृत्ति के गुलशन, इस संस्कृतिपरक काम में लगे हुए हैं। धीरज धरे बैठे गुलशन की अब तक की राह भी सभी की तरह ही संघर्ष भरी रही है, मगर आज ठीक-ठाक मुकाम पर हैं। सादगीभरी बोलचाल और अपने अदबी व्यवहार की बूते ही वे आज तक अपने आसपास के माहौल में जमें हुए हैं, शायद यही बातें उन्हें आगे ले जायेंगी।
गरीब और किसान परिवार में (10 अगस्त 1981 को) जन्में गोपाल सुथार, कब कला जगत के लिये गुलशन कुमार बन गये, पता तो नहीं चला मगर हां ये नाम सफर बुलन्दी की ओर ही ले जाने का रास्ता दिखाता नजर आता है। पिता बंशीलाल के परिवार में दो बड़े भाइयों और एक छोटे भाई सहित इकलौती बड़ी बहन के साथ बड़े हुए गुलशन को अपनी माँ का सानिध्य, उम्र के शुरूआती पांच-छः बरसों तलक ही मिल पाया। परिस्थितियां उन्हें औपचारिक पढ़ाई से दूर कर गई लेकिन अपनी ज़िद के पक्के गुलशन ने चित्रकारी का ये हुनर गांव से आठ किलोमीटर दूर पैदल चलने पर पड़ने वाले बेगूं में आते-जाते सीख ही लिया। उन्होंने आरम्भिक शिक्षा महाराणा सज्जनसिंह सम्मान से पुरस्कृत चित्रकार किशन शर्मा से पाई जिन्हें कभी अपनी बारिक चित्रकारी के लिये तात्कालिक राष्ट्रपति डाॅ. शंकर दयाल शर्मा ने भी पुरस्कार से सम्मानित किया था। लगभग तीन साल की इस गुरूकुल प्रणाली की शिक्षा दीक्षा के बाद ज़िन्दगी की असल चित्रकारी की यात्रा शुरू हुई।

बाद का समय कभी निःशुल्क रूप से विकलांग बच्चों को चित्रकारी सीखाने, उनकी सेवा करने और यदाकदा मिलने वालों के लिये कुछ कलापरक काम करने में गुजरता रहा। अचानक भाग्य से जयपुर के प्रसिद्ध कलागुरू अमीर अहमद के साथ काम करने और उनसे सीखते हुए मुम्बई और हैदराबाद में काम करने का मौका मिला। वक्त के साथ गुलशन को चित्तौड़गढ़, कोटा और जयपुर के साथ दिल्ली में भी अपनी कला दिखाने का असवर प्राप्त हुआ जिसमें उन्होंने अपनी मेहनत का परिचय दिया। इस यात्रा में कई कलाप्रेमी, व्यावसायियों और विदेशी कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला। इस तरह गुलशन कुमार, हैरिटेज होटल, फ्लेट, आर्ट गैलेरीज़ में बेहतर काम करने और अपनी कार्यशालाओं के जरिये पहचाने जाने लगे।

इस यात्रा में चित्तौड़गढ़ की मेवाड़ एज्युकेशन सोसायटी, विज़न स्कूल आॅफ मेनेजमेन्ट, संस्कृति अकादमी जिला प्रशासन और स्पिक मैके जैसे कलावादी आन्दोलन ने सहयोग दिया। खुले रूप में एक बात तो यही कही जायेगी कि गुलशन अपनी लगातार मेहनत, लगन और कठोर परिश्रम के बूते ही आगे बढ़ रहे हैं। बिना किसी बड़े सहयोग के अब तक का ये सफर तय करने वाले गुलशन की हाल ही में आठ नवम्बर, 2009 को चित्तौड़गढ़ में पेन्टिंग एग्जिबिशन लगाई गई। जिसमें चित्तौड़गढ़ की नवीन रूप से स्थापित कलामंत्र आर्ट गैलेरी का मुख्य सहयोग रहा। कई सारे शैक्षणिक संस्थानों में अपनी चित्रकृतियां निःशुल्क रूप से भेंट करने वाले गुलशन ने कई बार कुछ ही मिनटों में चावल के दाने पर लम्बे नाम लिखकर अपनी कलाकारी का परिचय दिया है। कभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मेवाड़ घराने के राजकुमार लक्ष्यराज सिंह को अपनी कृति भेंट करने वाले सुधांशु महाराज के आनन्दधाम आश्रम में भी चित्रकारी कर चुके हैं।

हमेशा बिना सहयोगी कलाकारों के किसी भी कलाकृति को पूरा करने की भावना वाले गुलशन कुमार जांगीड़ फिलहाल चित्तौड़गढ़ में रहते हुए अपने इस कार्य में लगे हुए हैं जिनसे मो. 9928809037 पर बातचीत की जा सकती है। हम अपनी और से उनके लिये हमेशा अच्छे समय की कामना करते हैं।

गुलशन कुमार द्वारा बनाये गए कुछ बहतरीन चित्र









अधिक जानकारी के लिए आप इनके बोग पर देखे
http://gulshanart.blogspot.com/

भोपाल से पाकिस्तान केवल ३०० km ??????????????


आज जब मेने google earth खोला तो में क्या देखता हुआ की हमारे जिले का एक कस्बा पाकिस्तान में आता हे ????????
भोपाल से मात्र 300 km , रतलाम से 150 km और कोटा से तो सिर्फ़ 100 km पर हे ये पाकिस्थान !





जी हा पाकिस्तान से कोसो दूर बसा चित्तोडगढ का एक कस्बा कनेरा जो राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा पर बसा हे उसके नाम के आगे पाकिस्तान लगा हे देख कर मेरी तो आँखे खुली की खुली रह गई |

क्या कनेरा पाकिस्तान में हे ?

क्या पाकिस्तान कनेरा में हे ?

क्या ये गूगल earth की भूल हे ?

या मेरे कंप्यूटर की प्रॉब्लम हे ?

अब जो भी हो चित्तोडगढ से मात्र 40 km पर पाकिस्तान का नाम देख बहुत आश्चर्य हुआ |


शेखर कुमावत

Bhopal to pakisthan onliy 300 Km

 

 

 
Posted by Picasa

कब बुजेगी ये आग ??????????????


जयपुर में भीषण



जयपुरः भयावह आग में झुलसे हुए लोगों की तस्वीरें...


पता नही अब उन लोगो पर क्या बीत रही होगी जो इस आग से लड़ रहे हें ???????

ब्लॉग वाणी फ़िर से आया ??????????????

कहते हे ना ..... मोर्निंग का भुला इवनिंग को घर लोट आए तो उसे भुला नही कहते हे |
हम समजते हे "ब्लॉग वाणी " संचालको की समस्याओ को मगर ये तो दुनिया हे जहा अचा - भला - बुरा सब होता हे |

मगर ये देख कर बहुत खुसी हुई की ' ब्लॉग वाणी " फ़िर से चलने लगा हे |

आप सभी चिट्टा करो को amritwani.com की तरफ़ से बहुत बहुत शुभ कामनाये

शेखर कुमावत

पिता क्या - क्या हें _______???????????????

"ब्लॉगवाणी" बंद ये क्या किया आप ने ????????????

आज का दिन यानि विजय दशमी मगर ये क्या आप ने तो बंद ही कर दिया ब्लॉग वाणी बहुत दुःख हुआ ये सब देख कर
मुझे आशा हे आप पुनः इस पेज को चालू कर हमें इस का लाभ देंगे

नंबर 1 से सारा शहर बाग-बाग

उदयपुर. दुनिया में नंबर वन का दर्जा मिलने से शहरवासी बाग-बाग हैं। युवाओं, महिलाओं, बुजुर्र्गो सहित हर खासो आम ने शहर की इस उपलब्धि पर खुशी का इजहार किया है।

नगर परिषद ने भी खुशी के इस अवसर पर रविवार रात को यहां सूरजपोल चौराहे पर आतिशबाजी की और लड्डू बांटे। लेकिन, अब शहर को इस मुकाम पर बनाए रखने की चिंता भी लोगों को है। यही वजह है कि सभापति, कलेक्टर, विधायक और सांसद ने हर संभव प्रयास करने का वादा किया है।

बढ़ानी होगी सुविधाएं

दुनिया में नंबर वन का दर्जा मिलने के बाद अब सिडनी, बैंकाक जाने वाले पर्यटकों का रुख उदयपुर की ओर होगा। पर्यटकों की सुविधा के लिए शहर में कई सुविधाएं अब भी उपलब्ध नहीं है। मल्टीप्लेक्स, शॉपिंग विलेज, मॉल्स, गोल्फ कोर्स जैसी सुविधाएं उपलब्ध होने पर्यटकों की आवाजाही और नंबर वन का दर्जा बरकरार रह सकता है। सितारा होटल के अधिकारियों के अनुसार शहर में पर्यटकों की संख्या बढ़ना तय है।

मौजूदा समय में उदयपुर की सितारा होटलों में 7000 कमरों की व्यवस्था है जो अब कम पड़ सकती है। प्रस्तावित होटलों का काम शुरू करवाने में प्रशासन मदद करें। यहां खरीदारी के लिए खेल गांव की तरह शॉपिंग विलेज की योजना बने। मनोरंजन के लिए गोल्फकोर्स की तरह अन्य साधन भी मुहैया कराने होंगे।

क्यों बना उदयपुर नंबर वन

वल्र्ड वाइड पत्रिका ट्रेवल एंड लीजर के सर्वे में साफ-सफाई के बिंदु को भी जोड़ा गया है। एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और बस अड्डे से लेकर होटल पहुंचने वाली सड़कों और पर्यटन स्थलों पर साफ-सफाई की अच्छी व्यवस्था रही।

कैसे बरकरार रहेगा यह दर्जा

प्रमुख मार्"े के साथ शहर के अन्य हिस्सों में भी सफाई व्यवस्था को दुरस्त करना होगा। नालों और नालियों से ओवरफ्लो वाले पानी को रोकने, मेडिकल वेस्ट और ठोस कचरा निस्तारण के इंतजाम करने होंगे।