Vastu Shastra: Choti Umar Mkan/ Short-Lived Houses (SK-93)

Book Introduction : Nani पुस्तक परिचय - नानी





                    















































                          अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) वर्ष-5, अंक 30(अप्रैल-जून 2019)

Book introduction: Shilp kala Par So Kundliyan By : Amrit 'Vani'



                    















































                          अपनी माटी (ISSN 2322-0724 Apni Maati) वर्ष-5, अंक 30(अप्रैल-जून 2019)

महाराणा प्रताप :- कवि अमृत 'वाणी'

    बाबर री फौजा रा दाँत खाटा करणवाळा, रणभूमि में अस्सी घाव हुया पचे भी युद्ध करण रो हौंसलों राखण वाला ऐतिहासिक रण बांकुरा, राणा सांगा रा पोता, राणा उदयसिंह रा लाडला कुँवर, जैवन्ती बाई रा आंख्या रा तारा, शक्ति का अवतार शक्तिसिंह रा मोट्योड़ा भाई, एकलिंग नाथ रा दीवान, ‘मेवाड़ी माटी रे कण-कण मांय, लाखांे लाखों होना री मोरा जेड़ा, युगां युगां तांई चमकण वाळा, शौर्य रा सूरज, लाखों हीरा मांही चमकण वाला वीर शिरोमणि कोहिनूर, हल्दीघाटी ने वीरां रो महातीरथ बणावण वाला, चेटक रा असवार, महाराणी अजबदे रा अमर सुहाग, छोट्योड़ा अमरसिंह री मोटी चिंता करण वाळा, जन-जन रा लाड़ला, दुनिया रा इतिहास में लोई रा भर्योड़ा स्वाभिमानी दिवळा सूं आन-मान-शान रो अमर उजाळो करण वाळा महाराणा प्रताप री आशीषां लेवण खातर आकी दुनिया रा सांचा स्वाभिमानी देशभक्त, आज बारम्बार शीष झुकावे है।
    महाराणा प्रताप अतरो विशाल व्यक्तित्व है कि दन-रात आकाश में उड़बा वाळा पखेरू तकात वाका गीत गावे है। आज तांई आपरी गौरव गाथा लिखता लिखता नां तो कवियां री कलमां थाकी ना रावरी गाथा पूरी हुवी।

एक दोहा रे मायने जाण्या, माण्या कविराज अमृत वाणी अणी रहस्य रो वर्णन यूं कर्यो - 

‘‘लव बेटा जो राम रा, जांको सूरज वंश।
सब राणा मेवाड़ रा, सियाराम रा अंश।।

    महाराणा प्रताप एक कालजयी महापुरूष हुया, जांका वीरोचित भावां ने शब्दा में ढाळबो कोई सरल काम कोयने। एक दोहो अर्ज करू -
‘‘लिखती-लिखती थाकगी, ये कलमां कविराज।
तड़के पाछी चालसी, दनड़ो आंथ्यो आज।।

    आज रो टेम रा घणा मिनक दनरात शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक कामां में इतरा व्यस्त अन तनावग्रस्त रेबा लाग ग्या कि जिन्दगानी री घणी खुशियां, सीमटती सीमटती अैय्यां छोटी होगी, यूं लागें जाणें आकाश में उड़ती थकी पतंग रो डोरों सारोई चकरी माथे लपेटा ग्यो।

आज आम आदमी ने भौतिकवाद में मोबाईला रा चमकीला उजाळा सूं दिशा भ्रम वेतो जार्यो है। 

‘‘मरजी आवे जैय्या नाळै,
गलत गेला पे चाले।
मुसीबतां में पड्या पाछे,
आका घरका को जीव बाळै।।


    इणी बास्ते प्रताप जयंन्ती रा महोत्सव पे मैं आखरी में यो केबो छाऊं कि भक्ति भाव, समाज सेवा, दीन-दुखियां री सेवा, आध्यात्मिक साधना जेड़ा अनमोल गेणा-घाटा सूं मनक जमारा ने फेरूँ सजावण री बगत आगी है। महाराणा प्रताप रा संघर्षमय जीवन सूं दृढ़ संकल्पवान होवण री शुरूआत करां, अपणा धार्या कामां ने पूरण करां, ता जिन्दगी एड़ा चैखा काम करां के जद इतिहास लिखण री बेला आवे तो एकादि लेण में आपणों भी नाम आवे। आखरी में दो लेणां पढ़बा रो मन होवें -

‘‘जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं।
हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।।’’


जय हिन्द।

कवि  अमृत 'वाणी'

फायर इंजीनियरिंग ( फायर तकनिकी ) Fire Engineering Fire technology Hindi


फायर इंजीनियरिंग

         ( फायर  तकनिकी )
कैप्शन जोड़ें


फायर सर्विस संगठन  (Fire Service Organizations)
फायरमेन (Fire Man)
अनुशासन (Discipline)
वाचरूम (Watch Room )
ब्रीदिंग अपरेटस ( Bbreathing Apparatus)
स्माल गियर्स (Small gears)
रोप लाइन (Plant and line)
गांठे (Knot)
लैडर (Ladder )
जहाज और डाकयार्ड ( Ships and Dockyard )
स्पेशल सर्विस काॅल (Special Service call )
देहात की आग (Fire in the countryside )
भवन निर्माण (Building Construction )



प्रकाशन


             फायर इंजीनियरिंग कि इस आकर्षक पुस्तक में फायर सर्विसेस के अंतर्गत संगठन एवं , मेनेजमेंट के विभिन सारगर्मित पहलुओं को समाहित करते हुए फायर फाइटिंग के पूर्व स्थान एवं परिस्थितियों के अनुसार समस्त तैयारियों को सचित्र क्रमशः विस्तारपूर्वक समझाया गया है। इसमें फायर इंजीनियरिंग की शिक्षा को हिन्दी माध्यम में प्रस्तुत किया गया है, फायर का ज्ञान आज के युग में ओद्यौगिक व घरों में सामान्य जीवन के लिये अति आवश्यक है, इस पुस्तक में आग बुझाने वाले सभी उपकरणों, उपायों व उपनके उपयोग को बड़ी सरलता के साथ समझाया गया है।
                    अधिकांशतः तकनीकी शिक्षा की पुस्तके अंग्रेजी भाषा में मुद्रित होने से भारतीय हिन्दी भाषा विद्यार्थी पूर्ण आत्मसन्तुष्टि नहीं पा सकतें है। प्रत्येक मातृभाषा की अपनी एक अनुठी आत्मियता होती हैं। जिसकी तुलना मात्र माँ के प्यार से ही जानी सम्भव हैं। वर्षों से जिस भाषा के माध्यम से अध्ययन कार्य सम्पन्न किया । फिर यदि एकाएक तकनीकी शिक्षा के कारण माध्यम बदलता हैं तो अधिगम प्रकिया निश्चित रूप से प्रभावित होगी। धीरे धीरे भाषा के समक्ष सांमजस्य स्थापित होता है। जिस प्रकार किसी ग्रामीण का शहरीकरण होता है ।
                    यह बदलाव भी एलौपेथिक ट्रिटमेंट की तरह होता है। जब नवीन तकनीकी भाषा सुचारू रूप से अपनी अहम भूमिका नहीं निभा पाती तब प्रतिभाएं पिछड जाती है। ऐसी ही विषम परिस्थितियों को म़द्देनजर रखते हुए दोनों नवोदित नवयुवक लेखकों ‘रविराज सिंह राठौड़ व चन्द्रशेखर चंगेरिया’ ने यह पुस्तक ‘फायर इंजीनियरिंग‘ की सरल हिन्दी भाषा में  रचना करते हुए सराहनीय कार्य किया।
                   नवीवतम जानकारियों से युक्त, सरल, स्पष्ट, रोचक, सचित्र यह पुस्तक अवश्य ही लाखों हिन्दी भाषी विद्यार्थियों के लिए परमोपयोगी सिद्ध होगी।
        इन्हीं शुभकामनाओं के साथ पुस्तक आज आपके करकमलों को सुवासित कर रहे है।

  ‘चेतन प्रकाशन‘
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