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चाँद (वेलेंटाइन दिवस पर)
बार-
बार
देखें
सभी ,
इतना
प्यारा
रूप
।
कोई
कहता
चांदनी
,
कोई
कहता
धूप
।।
कोई
कहता
धूप ,
करे
सब
नो-
नो
बातें
।
एक
उपाय
विवाह ,
चांदनी
सी
सब
रातें
।।
कह ‘
वाणी’
कविराज,
दिल
की
सुनो
पुकार
।
अपना
है
जब
चाँद
,
देय
दर्शन
बार-
बार
।।
कवि
अमृत
'
वाणी
'
http://kavyakalash.blogspot.com/
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