भारत की जनगणना 2011 में कविताओं का योगदान

स्वतंत्रोपरांत भारत की सातवीं जनगणना 2011 का राष्ट्र् व्यापी बिगुल बज चुका है। प्रथम चरण का कारवां प्रशिक्षण के साथ ही अपनी माकूल रफ्तार से मंजिल की ओर लगातार बढ़ रहा है । जनगणना विभाग द्वारा सामान्य हिन्दी में रचित दोनों पुस्तिकाओं में सभी बिन्दुओं को भली भांति स्पष्ट किया गया है। एक बात को अभिव्यक्त करने के कई तरीके हो सकते हैं जिनमें कविताएं भी काफी एहमियत रखती हैं । कविता रूपी मिठाइयों को यदि सही सलीके से हॅंसी की चासनी से तैयार किया जाय तो उनका स्वाद बेशक लाजवाब हो जाता है । कभी-कभी हॅंसते-हॅंसते , पसीना बहाते हुए मई-जून की धूप में पहाड़ों पर दौड़ते हुए चढ़ जाना भी दिल को बड़ी खुशी और शुगून दे जाता है ,मगर दिल की मायूसी के साथ तो घर की सीढ़ियां उतरने में भी आखिरी सीढी तक खौफ़ बरकरार रहता है । देखा है कई बार हमने हास्य कविताएं ,जब-जब भी अपना रूख मोड़ती है ।आप तो बत्तीसी वाले हैं जनाब , वो तो बिना दांॅत वालों को भी हॅंसा-हॅंसा कर छोड़ती हैं ।ऐसी ही कविताओं में एक बहु चर्चित राजस्थान राज्य के चित्तौड़ शहर निवासी हास्य कवि अमृतवाणी का नाम भी सम्मान से पुकारा जाता है। आपने ’ भारत की जनगणना 2011 ’ की मकान सूचीकरण एवं एन0पी0आर0 हेतु परिवार अनुसूची भरने के लिए अनुदेश पुस्तिकाओं का मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षण देने हेतु गहन अध्ययन तो किया ही है , किन्तु साथ-साथ महत्वपूर्ण बिन्दुओं को हास्य कविताओं --कुण्डली काव्य ---द्वारा जो सुस्पष्टता एवं हृदयग्राही रोचकता दी है जो बेशक लाजवाब और काबिले तारीफ है ।
इनकी कविताएं श्रीकृष्ण की शाश्वत मुस्कान की तरह हैं जो ना तो कभी पूर्ण विराम लेती है ना कभी किसी के अन्तर्मन को ठेस पहुंचाती हैं । अमृत ’वाणी’ द्वारा रचित लगभग छोटी-बड़ी 18-20 पुस्तकों में यह कुुण्डली काव्य राष्ट्रीय कार्यक्रम को अपनी मंजिल तक पहुंचाने में हर पाठक को बेशक मददगारके रूप में महसूस हो रही है । सन् 2001 वाली पीछली राष्ट्रीय जनगणना में भी आपने अपनी कविताओं द्वारा जनमानस के राष्ट्रीय चिंतन को अधिकाधिक सुस्पष्ट एवं अनुकरणीय बनाया था ।

वैसे तो भारत के महारजिस्ट्रार जनगणना आयुक्त का कार्यालय गृह मंत्रालय ,भारत सरकार नई दिल्ली द्वारा मुद्रित एवं प्रकाशित दोनों पुस्तकें ही पूर्णतः प्रामाणिक अक्षरस अनुकरणीय एवं श्लाघनीय हैं फिर भी अमृतवाणीकी छोटी-छोटी कविताएं पर्यवेक्षक ,प्रगणक एवं समस्त उत्तरदाताओं के लिए एक प्रभावी उत्प्रेरक की भूमिका सा सफल निर्वहन अवश्य कर रही हैं

अमृतवाणीसृजनशील रहते हुए शतायु होएं।


अधिक जानकारी के लिये आप http://janganana.blogspot.com/ ब्लॉग देखे |


'मुळकती माटी' बणी सिरताज


जितेन्द्र कुमार सोनी 'प्रयास' का आईएएस में चयन

'मुळकती माटी' बणी सिरताज


नेठराना गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्राध्यापक (राजनीति विज्ञान) पद पर कार्यरत जितेन्द्र कुमार सोनी 'प्रयास' संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2009 में चयनित घोषित हुए हैं। इसी वर्ष अपने प्रथम प्रयास में ही आरएएस पुरुष वर्ग में टॉपर रह चुके सोनी ने आयोग की ओर से गुरुवार को घोषित परिणाम में देशभर में 29 वां स्थान प्राप्त किया है।
रावतसर तहसील के धन्नासर गांव में 29 नवम्बर 1981 को जनमे सोनी ने इस अवसर पर कहा कि उनका बचपन से संजोया हुआ सपना साकार हो गया है तथा ऐसी कोई उपलब्धि नहीं जिसे मेहनत के दम पर प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह परिणाम सिद्ध करता है कि राजस्थान और खासकर हनुमानगढ़ जिले में शिक्षा के संदर्भ में बहुत बड़ी जाग्रति आई है और सोनी की इस सफलता से अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी।
सोनी ने सिद्ध कर दिया है कि हिन्दी माध्यम, ग्रामीण पृष्ठभूमि या सरकारी स्कूल में पढ़कर भी सफलता के उच्चतम लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है और अगर कोई इंसान कड़ी मेहनत करता है तो निश्चित तौर पर हर लक्ष्य उसे छोटा नजर आता है।

साहित्यकारों में खुशी का माहौल

स्थानीय साहित्यकार सत्यनारायण सोनी, रामस्वरूप किसान, मेहरचंद धामू व विनोद स्वामी ने सोनी की इस सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की है। गौरतलब है कि सोनी हिन्दी व राजस्थानी के चर्चित युवा कवि भी हैं तथा इनका कविता संग्रह 'उम्मीदों के चिराग' प्रकाशित हो चुका है। इंटरनेट पर सोनी की राजस्थानी कविताओं का ब्लॉग 'मुळकती माटी' भी काफी चर्चित हुआ है। गत दिनों नई दिल्ली में आयोजित सार्क सम्मेलन में भी सोनी भाग ले चुके हैं तथा अगले वर्ष पाकिस्तान में आयोजित हो रहे विश्व साहित्यकार सम्मेलन में भी इन्हें आमंत्रित किया गया है। सोनी इन दिनों राजस्थान विश्वविद्यालय से 'विकास के गांधीय प्रतिमान' विषय पर पीएच.डी. भी कर रहे हैं।

मंदिरों की शोभा बनी नरेंद्र की कला

तेजनारायण शर्मा

चाहे बात सांवलियाजी के वाघा की, शनि महाराज की मूर्ति की, जोगणिया माता की तलवार की हो या फिर सामने पड़ी किसी वस्तु या खुद आपकी तस्वीर की हो वह कुछ ही दिनों में चांदी पर उभरी हुई आपके सामने होगी। इस बेजोड़ कला के मालिक हंै नरेंद्र सोनी। सोनी फन में इस कदर माहिर है कि सामने वाले की हूबहू तस्वीर चांदी और सोने पर भी उकेर देते हैं।


बोहरा मस्जिद के पास रहने वाले सोनी ने संघर्ष एवं लगन से कला के क्षेत्र में एक विशिष्ट स्थान हासिल किया है। मात्र १२ वर्ष की छोटी सी उम्र में सोनी ने बेगूं में पिता मोहनलाल सोनी के बीमार होने पर एक मंदिर के लिए चांदी का मुकुट बना डाला। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक कई एंटीक आइटम बना डालें। कला के प्रति लगाव के चलते दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ भीलवाड़ा में फिनिशिंग का काम सीखा।

मूलत बेगूं निवासी सोनी के बनाए कई मुकुट, मूर्तिया, वाघा क्षेत्र सहित आस-पास के प्रमुख मंदिरों की शोभा बढ़ा रहे हैं। सोनी बताते हैं कि यह पहले शौक था अब जुनून बन चुका है। हालत यह है कि वे चाहे बस, ट्रेन, समारोह या फिर कहीं और, सभी जगह उनकी पेंसिल और स्कैच बुक साथ रहती है। वे हमेशा रेखाचित्र बनाते रहते हैं। हाल ही एक्सीडेंट में घायल होने पर डॉक्टर ने उन्हें आराम की सलाह दी। उसके बाद भी उन्होंने कई स्कैच बना डाले।

उन्होंने बागुंड स्थित सांवलियाजी मंदिर में सोने चांदी का बाघा, प्रतापनगर मीठारामजी का खेड़ा स्थित नवग्रह मंदिर में गणेश, पार्वती, शिवलिंग, जोगणिया माता मंदिर के लिए के मुकुट व तलवार बनाई है। इसके साथ ही उन्होंने कई लोगों की तस्वीर देखकर उसकी हूबहू चांदी की प्रतिमा का निर्माण भी किया है। वे बताते हैं कि एक ऐंटिंक आइटम को तैयार करने में एक लगभग एक माह का समय लग जाता है। इस समय उनके पास कई जगहों के मंदिरों के आर्डर पड़े हुए है।