मंदिरों की शोभा बनी नरेंद्र की कला

तेजनारायण शर्मा

चाहे बात सांवलियाजी के वाघा की, शनि महाराज की मूर्ति की, जोगणिया माता की तलवार की हो या फिर सामने पड़ी किसी वस्तु या खुद आपकी तस्वीर की हो वह कुछ ही दिनों में चांदी पर उभरी हुई आपके सामने होगी। इस बेजोड़ कला के मालिक हंै नरेंद्र सोनी। सोनी फन में इस कदर माहिर है कि सामने वाले की हूबहू तस्वीर चांदी और सोने पर भी उकेर देते हैं।


बोहरा मस्जिद के पास रहने वाले सोनी ने संघर्ष एवं लगन से कला के क्षेत्र में एक विशिष्ट स्थान हासिल किया है। मात्र १२ वर्ष की छोटी सी उम्र में सोनी ने बेगूं में पिता मोहनलाल सोनी के बीमार होने पर एक मंदिर के लिए चांदी का मुकुट बना डाला। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक कई एंटीक आइटम बना डालें। कला के प्रति लगाव के चलते दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ भीलवाड़ा में फिनिशिंग का काम सीखा।

मूलत बेगूं निवासी सोनी के बनाए कई मुकुट, मूर्तिया, वाघा क्षेत्र सहित आस-पास के प्रमुख मंदिरों की शोभा बढ़ा रहे हैं। सोनी बताते हैं कि यह पहले शौक था अब जुनून बन चुका है। हालत यह है कि वे चाहे बस, ट्रेन, समारोह या फिर कहीं और, सभी जगह उनकी पेंसिल और स्कैच बुक साथ रहती है। वे हमेशा रेखाचित्र बनाते रहते हैं। हाल ही एक्सीडेंट में घायल होने पर डॉक्टर ने उन्हें आराम की सलाह दी। उसके बाद भी उन्होंने कई स्कैच बना डाले।

उन्होंने बागुंड स्थित सांवलियाजी मंदिर में सोने चांदी का बाघा, प्रतापनगर मीठारामजी का खेड़ा स्थित नवग्रह मंदिर में गणेश, पार्वती, शिवलिंग, जोगणिया माता मंदिर के लिए के मुकुट व तलवार बनाई है। इसके साथ ही उन्होंने कई लोगों की तस्वीर देखकर उसकी हूबहू चांदी की प्रतिमा का निर्माण भी किया है। वे बताते हैं कि एक ऐंटिंक आइटम को तैयार करने में एक लगभग एक माह का समय लग जाता है। इस समय उनके पास कई जगहों के मंदिरों के आर्डर पड़े हुए है।