प्राख्यात राजस्कथानी कवि, कथाकर और आलोचक श्री रामेश्वरदयाल श्रीमाली का 30 मार्च, 2010 को (राजस्थान दिवस पर) निधन से हम सभी शोकाकुल हैं । राजस्थानी के प्रबल हिमायती श्रीमाली जी को हम विनम्र श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए परिजनों के साथ हैं ।
श्री रामेश्वरदयाल श्रीमाली रो नाम राजस्थानी भासा रै कहाणींकारां में ई नीं, आखै भारत में रै ख्यातनाम अर टाळवां कहाणींकारां मांय घणै आदर सूं ओळखीजै। श्रीमाली जी री कहाण्यां रा हिंदी, अंग्रेजी, बंगाली, पंजाबी, अर मराठी भासा में उल्था हुया। आप राजस्थानी रा एकला इसा कहाणीकार है, जिणां री कहाणी साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली सूं छप्यै आखै सैकै (शताब्दि 1900-2000) रै टाळवां कहाणींकारां री कहाण्यां रै संकलन Indian Short Stories 1900-2000में भेळीजी।
आपरी कहाणीं 'जसोदा' टलिवीजन सारू फिल्मीईजी अर दूरदर्शन रै राष्ट्रीय कार्यक्रम में आखै देस में खास वेळा (Prime Timie) में दरसाईजी।
1977 में उणां रै कहाणी संग्रह 'सळवटां' माथै राजस्थानी साहित्य अकादमी, उदयपुर रो राजस्थानी गद्य पुरस्कार, 1980 में कविता-संग्रह 'म्हारो गांव' माथै साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली रो साहित्य अकादेमी पुरस्कार, 1978 में राजस्थान रत्नाकर, दिल्ली रो 'विण्णु हरि डालमिया पुरस्कार', 1994 में भारतीय भाषा परिषद्, कलकत्ता सूं 'मरुधारा पुरस्कार', 1995 रो मारवाड़ी सम्मेलन, बम्बई रो घनश्यामदास सर्राफ सर्वोत्तम साहित्य पुरस्कार, 1995-96 में राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर रो गणेशलाल व्यास उस्ताद पद्य पुरस्कार, 2001 में बीकानेर रो हजारीमल बांठिया पुरस्कार, 2004 में द्वारका सेवा निधि, जयपुर रै कांनीं सूं 'श्रीमती मन्नीदेवी जोशी पुरस्कार' देय'र श्रीमाली जी रो बहुमान कीनो।
'गुनैगार है गजल' री गजलां, दुष्यंत कुमार री गजलां अर 'म्हारामीत गंगासिंघ!' हिंदी रै टाळवें कवि 'मुक्तिबोध' रै जोड़ री अर हिन्दी काव्य 'कौटिल्य' हिन्दी रै महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला रै काव्य 'तुलसीदास' रै मुकाबलै गिणीजै।
हाड़ीराणी, बावनौ हिमाळै, कुचमादी आखर, युगदीप अर जाळ पोथ्यां श्रीमाली री महताऊ पोथ्यां मांय गिणीजै। श्रीमालीजी साहित्य अकादमी उदयपुर, राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर, साहित्य अकादेमी नई दिल्ली मांय सदस्य रैया। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान री पाठ्यक्रम समिति समेत घणै पुरस्कारां रै निर्णायक मण्डल रा सदस्य ई रैया।
'एनसाइक्लोपीडिया आव इण्डियन लिटरेचर' लिखण में ई श्रीमाली जी आपरो घणमोलो सैयोग दीनो। श्रीमालीजी राजस्थान शिक्षा-सेवा (प्रधानाचार्य पद) सूं सेवानिवृत्त हुया अर जालोर रे साक्षरता अभियान में मुख्य जिला समन्वयक रैया। आपरी वेळा में हुयै साक्षरता रै काम माथै 1999 में महामहिम राष्ट्रपति जी रै हाथां सूं जालोर जिला नै घणौ प्रतिष्ठित 'सत्येन मैत्रेय पुरस्कार' मिल्यो। शैक्षणिक शोध अर शिक्षक-प्रशिक्षण बाबत ई आप घणां महताऊ काम करया। राणकपुर आरोग्य धाम मानवकल्याण संस्थान, राणकपुर रोड, सादड़ी, जिला पाली रा आप सचिव रैंवता थकां ई महताऊ काम करया।
(पोथी 'जाळ' सूं)
राजस्थानी पत्रिका नेगचार में प्रकाशित
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