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 | पृष्ठ  174 |  | बहुत दिन से कई लोग मेरे पीछे लगे हुए थे कि मैं देह-दान कर दूँ...  आगे ... | 
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 | पृष्ठ  151 |  | अजी हाँ, साहब ! उसी छोकरे का, जिसका नाम निरापद है। उसकी कुआँरी बहन ने ही यह बेशर्मी का काम किया है...  आगे ... | 
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 | पृष्ठ  319 |  | चैतन्य महाप्रभु की जीवनी पर आधारित रोचक उपन्यास...  आगे ... | 
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 | पृष्ठ  112 |  | ऋग्वेद में मंत्रवाची मुनियों को टर्राने वाले मेढकों की उपमा दी गई है...  आगे ... | 
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 | पृष्ठ  143 |  | एक दुकान पर संजीवनी बूटी बिक रही है, धूप और गर्मी से जो भी बेहाल होकर गिरता है, उसे यहां संजीवनी सुंघा दी जाती है...  आगे ... | 
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 | पृष्ठ  184 |  | ये सभी लेख पिछले कुछ वर्षों से ‘इंडिया टुडे’ पत्रिका में ‘कटाक्ष’ स्तंभ के अंतर्गत प्रकाशित हो रहे हैं...  आगे ... | 
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 | पृष्ठ  99 |  | ‘हास्य-व्यंग्य’ जीवन का आधार होता है ! यह कमियों की ओर इंगित करता है और बैठकर विचार करने को विवश करता है !...  आगे ... | 
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 | पृष्ठ  145 |  | कोई भी प्रेरक किसी को प्रेरित नहीं कर सकता, कोई भी इंसान किसी की जिंदगी नहीं बदल सकता...  आगे ... | 
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 | पृष्ठ  150 |  | रनवीर ने पहले ही कह दिया था कि गाँव की अन्य औरतों की तरह अब तुम सिर पर डलिया-तसला धरे नहीं सोहातीं। आखिर प्रधान की पत्नी हो...  आगे ... | 
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 | पृष्ठ  91 |  | कुटिया से मेनका के लोप हो जाने पर जब तक शिशु कन्या महर्षि विश्वामित्र की गोद में किलकती-हुमकती रही, वे शिशु में मग्न रह कर सब कुछ भूले रहे...  आगे ... | 
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 आपका माणिक
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