जी हा साथियों मेने पहली बार लिखी हें कविता
कई बार पापा के कहने पर और समझाने पर मेने लिखाने की कोशिश की और देखते हें अपने जीवन की पहली कविता "हैं माँ " से शुरुवात की हें हलाकि मेरे पिताजी हिंदी और राजस्थानी के बहुत बड़े कवि हें उन्होंने २५ से ज्यादा किताबे लिखी हें !
कई बार उन्होंने मुझे कहा की "बेटा जो काबिलियत मुझ में हें वो मेरा पुत्र होने के वास्ते कुछ कुछ तुम में भी हें " और इसी बात को ध्यान में रख मेने पहली बार अपनी कविता लिख कर पापा को दिखाई और सच में पापा ने उस में थोडा सा सुधार कर उसे और भी अच्छा बना दिया अब सोच रहा हुआ की और नई नई अछी कविताये लिखू !
हलाकि में अपने काम में ज्यादा व्यस्त रहता हु मगर अब पिताजी के रास्ते कदम पर चलने का मन बना लिया हें !
आशा हें आप मेरे ब्लॉग काव्य 'वाणी' पर समय समय पर आकर मुझ बाल मन को अपनी रह दिखाते रहेंगे
http://kavyawani.blogspot.com/
शेखर कुमावत
2 टिप्पणियां:
jaaree rakhe.
jaaree rakhe.
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