चित्तौडगढ। जम्मू कश्मीर के तकनीकी, शिक्षा मंत्री राजेन्द्रसिंह ने कहा कि प्रताप के तप की गूंज मेवाड ही नहीं, कश्मीर की वादियों तक है। महाराणा प्रताप को वहां भी ईश्वर के समान माना जाता है।
वे गुरूवार को जौहर स्मृति संस्थान की ओर से आयोजित जौहर श्रद्धांजलि समारोह में मुख्य अतिथि पद से बोल रहे थे। इस प्रकार के आयोजन से नई पीढी को हमारे इतिहास व पुरखों के बारे में जानने का मौका मिलता है।
सिंह ने जौहर भवन के लिए एक लाख रूपए भेंट किए। रेवास धाम के स्वामी राघवाचार्य ने कहा कि मातृभूमि की रक्षा के लिए वीरों का बलिदान एवं वीरांगनाओं का जौहर हमारी स्वतंत्रता का प्रतीक हैं।
पूर्व सांसद महेन्द्रसिंह मेवाडा ने कहा कि व्यक्ति इन्सानियत के साथ संविधान के अनुरूप जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढने का प्रयास करें तो कामयाबी निश्चित मिलती है। उन्होंने समाज में एकता तथा शिक्षा पर जोर देने को कहा। समारोह में संस्थान अध्यक्ष उम्मेदसिंह धौली सहित संस्थान के कई पदाधिकारी मौजूद थे।
उमडा जन सैलाब
जौहर श्रद्धांजलि समारोह में भाग लेने के लिए अन्य राज्यों से भी सैकडों की संख्या में लोग यहां आए। ब"ाों से लेकर बुजुर्ग तक शोभा यात्रा में शामिल हुए तथा किले में जौहर स्थल पर यज्ञ में भाग लिया। कानून व्यवस्था के लिए बडी संख्या में पुलिस जाप्ता तैनात रहा। आगे केसरियां ध्वज लेकर घुडसवार चल रहे थे। पीछे की पंक्ति में सजेधजे ऊंट, मनमोहन झांकियां तथा नृत्य करते लोग शहर के बीच से निकले तो राहगीर भी ठिठक गए।
हर समाज की शिरकत
हर समुदाय ने शोभा यात्रा में शिरकत की। राजस्थान स्काउट व गाइड के करीब चालीस ब"ाों ने यात्रा में भाग लिया। उन्होंने व्यवस्थाओं को बनाने में भी सहभागिता दिखाई।
अम्बेडकर विचार मंच संस्थान के सदस्यो ने यात्रा में शामिल लोगों का माल्यार्पण व पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। शिवसेना के नगर शहर प्रमुख गोपाल वेद ने भी आगंतुकों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। महाराणा भूपाल पब्लिक स्कूल एवं छात्रावास के विद्यार्थियों ने केसरियां धवज लेकर यात्रा में भाग लिया।
इनका हुआ सम्मान
जौहर स्मृति संस्थान की ओर से समारोह में समाज सेवक, प्रतिभावान छात्र-छात्रा, शिक्षक खिलाडियों को सम्मानित किया। इस अवसर पर चन्द्रभानसिंह आक्या, अभयसिंह शक्तावत, शंकरसिंह बडगूजर, खेतसिंह मेडतियां को भामाशाह पुरस्कार से सम्मानित किया। पर्यावरण संरक्षण के लिए दिव्या जैन को सम्मानित किया गया।
चोला तो रावण ने भी पहना
रेवास धाम सीकर के स्वामी राघवाचार्य वेदांती ने कहा कि चोला बदलने से कोई साधु नहीं बन सकता। चोला तो रावण ने भी पहना था।वे गुरूवार को राजस्थान पत्रिका से बातचीत कर रहे थे। एक सवाल के जवाब में वेदांती ने कहा कि वेष बदलने वाले ही साधु संतों को बदनाम कर रहे है। जिसने भी चाहा, साधु बन गया। इसी कारण लोगों में संतों के प्रति विश्वास घटता जा रहा है।
धर्म व राजनीति पर कहा कि धर्म का अर्थ सबके लिए न्याय है। जो तुम्हे अच्छा लगे, वैसा ही अन्य के लिए भी सोचो। यहीं धर्म की परिभाषा है। श्रेष्ठ जीवन मूल्य के साथ जीना धर्म है। इनकी उपेक्षा कर राजनीति करना समाज के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता। हिन्दू समाज के बिखराव पर वेदांती ने कहा कि हिन्दू समाज में अनेकों पंथ है।
'कश्मीरी पण्डितों का दो चरणों में पुनर्वास'
दूर रहता जरूर हंू पर अपने मेवाड के लिए सदैव समर्पित हूं। यह जमीन मेरे पूर्वजों की है इसलिए मैं यहां कोई मेहमान नहीं हूं। यह बात जम्मू-कश्मीर के तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा, खेल मंत्री राजेन्द्रसिंह चिब ने शुक्रवार को यहां सर्किट हाउस में राजस्थान पत्रिका से बातचीत में कही।
यहां जौहर श्रद्धांजलि समारोह में भाग लेने आए चिब ने बताया कि वह पहली बार यहां आए है। इससे पहले हर वर्ष समारोह में उनके बडे भाई स्व. बलदेवसिंह चिब आते थे। उसी परम्परा को निभाते हुए इस बार मैं खुद चित्तौड आया हूं।
चिब नेकहा कि राजस्थान के मेवाड का नाम पूरे विश्व में सम्मान के साथ लिया जाता है। भारत के इतिहास में चित्तौडगढ का इतिहास प्रभावशाली रहा है। एक सवाल के जवाब में चिब ने कहा कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुला ने कश्मीरी पंडितों को पुन कश्मीर में बसाने का कार्य शुरू कर दिया है। अब तक 20 प्रतिशत से अघिक कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास कर दिया गया है।
सरकार का जोर निर्वासित जीवन जी रहे पण्डितों को पुन: कश्मीर लाने पर है। यह कार्य दो चरणों में किया जा रहा है। पहला उन लोगों को उन्हें बसाया जा रहा है जिनके पूर्व में ही मकान आदि है। दूसरे चरण में उन पण्डितों को बसाया जा रहा है जिनकी कोई सम्पत्ति नहीं है। ऎसे लोगों के आवास की व्यवस्था कर उन्हें रोजगार देने का प्रयास किया जा रहा है।
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जौहर वीरांगनाओं को नमन और श्रद्धांजली |
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